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बैठको और निर्देशो का नही कोई असर,विक्रमपुर में जल जीवन मिशन धरातल पर फेल, ग्रामीणों को तरसना पड़ रहा पानी की एक-एक बूंद को

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डिंडोरी।  जिला प्रशासन द्वारा पेयजल समस्या को लेकर समय-समय पर बैठकें और निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन धरातल पर इनका कोई ठोस असर दिखाई नहीं देता। 21 अप्रैल को कलेक्टर नेहा मारव्या की अध्यक्षता में आयोजित समय-सीमा की बैठक में भी ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध पेयजल आपूर्ति के निर्देश दिए गए थे। परंतु हकीकत इससे कोसों दूर है।
जनपद पंचायत डिंडोरी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत विक्रमपुर में जल जीवन मिशन की हालत बेहद दयनीय है। करोड़ों रुपए की लागत से पानी की टंकी और पाइपलाइन बिछाने का काम तो हुआ, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी आज तक ग्रामीणों के घरों में एक बूंद भी पानी नहीं पहुंच पाया। ठेकेदार द्वारा आधा-अधूरा कार्य कर नल कनेक्शन के साथ स्टैंड तो लगा दिए गए, लेकिन पानी अब तक नहीं आया।


ग्रामीणों का आरोप है कि वर्ष 2021-22 में पीएचई विभाग द्वारा जल जीवन मिशन के तहत कार्य शुरू किया गया था, जो आज तक अधूरा है। छिर्रा टोला, वार्ड क्रमांक 4, 5, 6 सहित कई मोहल्लों में हैंडपंप सूख चुके हैं और कुएं भी जवाब दे चुके हैं। ग्रामीणों को 1 से 2 किलोमीटर तक दूर जाकर चिलचिलाती धूप में पानी लाना पड़ रहा है।
घुसिया ग्राम में भी पानी की टंकी अधूरी हालत में पड़ी है। मोहल्ला सरपंच, मुकद्दम टोला, यादव टोला, कुम्हार टोला जैसे क्षेत्रों में पाइपलाइन का विस्तार ही नहीं किया गया। छिर्रा टोला में तो पानी की सप्लाई न होने के चलते नल स्टैंड भी खराब हो चुके हैं।
पंचायत द्वारा जनपद पंचायत को कई बार लिखित में शिकायत दी गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सवाल यह उठता है कि आखिर विभाग और ठेकेदार इतने लंबे समय से आंखें मूंदकर क्यों बैठे हैं? क्या जिले के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की यह महत्त्वाकांक्षी योजना दम तोड़ती नजर आ रही है?
ग्रामीणों की मांग है कि इस गंभीर संकट को देखते हुए शीघ्र कार्य पूर्ण कराया जाए और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि उन्हें गर्मी में राहत मिल सके।

पानी की जगह, हवा उगलते नल

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