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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शहपुरा में आयुष्मान प्रोत्साहन राशि सहित गंभीर अनियमितताओं के आरोप, उच्च स्तरीय जांच की मांग ,एसडीएम शहपुरा को की गई शिकायत

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डिण्डौरी
जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शहपुरा में भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी (सीबीएमओ) डॉ. सत्येंद्र परस्ते के विरुद्ध स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों, मेडिकल अधिकारियों और क्षेत्रीय नागरिकों द्वारा शासन-प्रशासन को शिकायतें भेजी गई हैं इसी क्रम मे आज एसडीएम शहपुरा को शिकायत की गई व   शिकायतकर्ताओं ने पूरे मामले की निष्पक्ष एवं उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, डॉ. सत्येंद्र परस्ते पिछले लगभग तीन वर्षों से केवल प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। इसके बावजूद उनके नाम पर आयुष्मान योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया। आरोप है कि इस अवधि में उनका नाम ड्यूटी रोस्टर में चिकित्सक के रूप में दर्ज ही नहीं रहा, फिर भी उन्हें मेडिकल स्पेशलिस्ट दर्शाकर प्रोत्साहन राशि दी गई। जबकि नियमानुसार मेडिकल स्पेशलिस्ट की प्रोत्साहन राशि केवल उन्हीं अधिकारियों को देय होती है जिनके पास पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल डिग्री हो।

शिकायतों में यह भी उल्लेख है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुछ कर्मचारियों को लंबे समय तक मातृत्व अवकाश अथवा लगातार अनुपस्थिति के बावजूद आयुष्मान प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया.

डॉ. परस्ते पर इससे पूर्व भी कई विभागीय जांचें लंबित होने की बात सामने आई है। शिकायतकर्ताओं के अनुसार, पिछले 8–9 वर्षों से उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उनके कथित रसूख और पदेन प्रभाव के कारण अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। बताया गया कि पूर्व में दो कलेक्टरों द्वारा गठित जांच समितियों—जिनमें डीएचओ ममता दीवान, डॉ. बृजेश ठाकुर और डॉ. जयश्री मरावी शामिल थे—ने जांच प्रतिवेदन तैयार कर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपे थे, लेकिन ये रिपोर्ट न तो शासन को भेजी गईं और न ही कलेक्टर डिंडौरी को प्रेषित की गईं।

इसके अतिरिक्त, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पुताई, मरम्मत कार्य, गैस सिलेंडर भराव व क्रय, स्टेशनरी, अग्निशमन व्यवस्था, मरीजों के भोजन एवं नाश्ता जैसी विभिन्न मदों में फर्जी बिल लगाकर राशि निकाले जाने के आरोप भी सामने आए हैं। आयुष्मान प्रोत्साहन राशि को लेकर बीते कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोपों को भी गंभीर माना जा रहा है।

कुछ वर्ष पूर्व सोशल मीडिया पर सामने आए कथित “खून बेचने” के प्रकरण की जांच भी अब तक लंबित बताई जा रही है। इसके अलावा, अस्पताल की एक महिला कर्मचारी द्वारा डॉ. परस्ते के खिलाफ छेड़छाड़ का मामला थाना शाहपुरा में दर्ज होने की जानकारी भी शिकायतों में शामिल है।

इन सभी आरोपों के आधार पर शिकायतकर्ताओं का कहना है कि डॉ. सत्येंद्र परस्ते के पास आय से अधिक संपत्ति होने की आशंका है, जिसकी जांच लोकायुक्त अथवा आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए।

स्थानीय नागरिकों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों का कहना है कि इन अनियमितताओं के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शाहपुरा की कार्यप्रणाली लगातार प्रभावित हो रही है, जिससे ग्रामीण और जरूरतमंद मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग की है कि सभी शिकायतों की निष्पक्ष एवं उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर संबंधित अधिकारियों का तत्काल निलंबन अथवा सेवा से बर्खास्तगी की कार्रवाई भी की जाए, ताकि जनता को पारदर्शी, ईमानदार और सुचारु स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें।

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