डिंडोरी।
जिला मुख्यालय के शासकीय व्हाट्सऐप समूह में एक गैर शासकीय व्यक्ति की मौजूदगी ने शासन‑प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पंकज डेहरिया जो स्मार्ट चिप कंपनी के कर्मचारी है, स्मार्ट चिप कंपनी का मध्यप्रदेश परिवहन विभाग से अनुबंध पहले ही समाप्त हो चुका है,फिर भी पंकज डेहरिया अब भी आरटीओ कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों के साथ सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और महत्वपूर्ण शासकीय ग्रुप में शामिल हैं।सूत्रों के अनुसार, कलेक्ट्रेट स्तर पर बनाए गए सरकारी व्हाट्सऐप समूहों में केवल अधिकारी‑कर्मचारी, अधिकृत नोडल या नामित प्रतिनिधि शामिल किए जाते हैं। ऐसे में एक कॉन्ट्रैक्ट समाप्त व्यक्ति की मौजूदगी न सिर्फ सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि नागरिकों के लाइसेंस, वाहन पंजीयन और जुर्माना संबंधी संवेदनशील डेटा की गोपनीयता को भी खतरे में डालती है।आरटीओ अधिकारियों से इस विषय मे पूछे जाने पर अधिकारी ने इस पर गोलमोल जवाब देते हुए मामला टालने की कोशिश की। दिलचस्प बात यह है कि अधिकारी खुद इस व्यवस्था को गलत मानते हैं, फिर भी इसी आउटसोर्स कर्मचारी का संरक्षण और सहयोग लगातार जारी है।अब बड़ा सवाल यह है कि जब स्मार्ट चिप कंपनी का अनुबंध समाप्त हो चुका है, तो पंकज डेहरिया किस आदेश या पत्र के आधार पर कार्यालय में कार्यरत हैं? क्या उन्हें किसी अन्य एजेंसी, एनजीओ या आउटसोर्सिंग कंपनी के माध्यम से अनौपचारिक रूप से रखा गया है, या सिर्फ मौखिक सहमति से काम कराया जा रहा है? विडम्बना तो यह हैं कि यह मामला केवल आरटीओ कार्यालय तक सीमित नहीं है — वाहन जांच और कलेक्टर स्तरीय बैठकों में भी यही व्यक्ति उपस्थित दिखाई देता है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि सिस्टम के भीतर “पसंदीदा लोगों” के लिए नियमों की दीवारें लचीली हो गई हैं।यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक पारदर्शिता, बल्कि डेटा सुरक्षा और सरकारी मर्यादा दोनों पर प्रश्नचिह्न लगाती है। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर और उच्चाधिकारियों द्वारा इस पूरे मामले पर जांच और जवाबदेही तय की जाती है या नहीं।











